ये तो हम सभीको पता है दोस्तों। सभी को पता कि " जबन है तो कर्म करना ही पड़ेगा। "जीबन में कर्मयोगी कैसे बनें... .?" इसी बारेमें श्रीमद भागबत गीता में बड़े सुंदर और प्रांजल भाषा मे अर्जुन को श्री कृष्णा जी ने समझाया है। वहां भगबान कहते हैं," जीबन में हमेसा अपना विहित कर्म करते चलो। कभी भी किसी भी प्रकार का फल में आशा मत रखो।" यानी कर्मपर भरोशा रखके कर्म को अछि रूप देनेको प्रयास करो। जिति -ना टकड़ा तुम्हारा कर्म होगा। उतना ही एक बड़ा फल मिलेगा जो तात्विक रूपसे बिल्कुल प्रासंगिक भी है। हमलोग इसी नियम का प्रभाव अपने दिन प्रति दिन जीबन में अनुभव करते हैं।
हां, कभी इसे खंडन करनेवाले कई बिरो -धाभास भी सुनाई देता जैसे," हाथ की लकीर भाग्य का खेल" जो बास्तविक जीबन में केवल एक " निराशाबादी और कर्मकुंठ ब्यक्तियों के लिए बड़े सरल तथा सहज एक आत्मबोधकि माध्यम ही है।" जिसकी कोई पुख्ता सबूत नहीं होता।
इसीलिए दोस्तों,हमेसा कर्मयोगी बनने से जिबनमे कोई सार्थकता आसकता है जिसका है एक बास्तबिकता और यथार्थता। इसीको जीबन दर्शन बनाके कैसे एक ब्यक्ति जीबन को सफल बना -सक्ता है और निराशा की भावसे अपनी आपको दूर राखसक्ता है आज इसपर एक कहानी:
करुणाकर एकदम एक अच्छा इंसान। एक स्वाबलंबी ब्यक्ति। स्वभाव में एकदम निराडम्बर तथा सरल। परिबारके साथ अपना एक हस्ताखिलता जीबन बिताता नैनपुरी में। एक सेमि अर्बन इलाका। पढ़ाई कुछ जैदा नहीं। मैट्रिकु -लेशन की बाद प्रधानमंत्री दक्ष्यता बिकाश योजना के तेहत मोटर बाइंडिंग सर्टिफिकेट कोर्स करचुका है। इसी बारेमे उसका एक अच्छा दक्ष्यता है। सर्टिफि -केट मिलनेके बाद काफी प्रयास करचुका है मगर कोई नौकरी हाथ नहीं लगता तो अपनिहि घर में एक मोटर बाइंडिंग की दुकान प्रारम्भ करदिया।
उसका धंदा सुरुआति दौर में था तो पहले पहले उतना फ़ाएदा मंद नहीं था। लोग भी उसको और उसकी धंदाको उतना नहीं जानते थे। धंदा और अपना एक पहचान बनानेके लिए व एक कौशल अपनाया।
एक तो किसी भी मोटर बाइंडिंग काम को हाथसे नहीं जानेदिया। फिर किसीको कोई कामके लिए कोई फिक्स रेट नहीं करता। हमेसा अपना ग्राहकों पे इसे छोडदेता। सही समय पे कामको अछि तरह से करके सही समय पे ग्राहकों को देदेता। जिसे देखकर ग्राहक लोग उसपर काफी खुश रहते। जल्दही उसका क्षयाती सारे ओर चहटने लगा। मोटर बाइंडिंग काम अब उसकी पास आता कि अब व हैरान में है।
क्या करे.....? सोचता अब दुकान को बढ़ाना होगा। वैसाही हुआ। एक बड़ा सा काम्प्लेक्स में अपना धंदा करनेलगा। साथही कुछ कौशली कारीगरोंको भी अपने पास रखा फलतः कुछलोगों को तनखा पाकर काम करनेका अबसर मिला तो काफी सारे बेकार तथा बेरोजगारों को ट्रेनिंग लेनेका सहायता का एक स्रोत बना।
आज व बहुत सारे पैसा कमाता। दिल लगाकर करनेवाला उसका व कर्म अब रंग लाया है। काफी सारे बेकार निकम्मों को कौशली बनानेमें समर्थ बनता। जिन लोगों से व प्रतिबदल में कुछ आशा नहीं करता और उसकी जीबन में कभी निराशा की भाव नहीं आता।
दोस्तों,इन्हां अंग्रेजी की व कहाबत सही बैठता:
" Do everything with a good
Heart & expect nothing in return & You will never be
Disappointed ".
हां, कभी इसे खंडन करनेवाले कई बिरो -धाभास भी सुनाई देता जैसे," हाथ की लकीर भाग्य का खेल" जो बास्तविक जीबन में केवल एक " निराशाबादी और कर्मकुंठ ब्यक्तियों के लिए बड़े सरल तथा सहज एक आत्मबोधकि माध्यम ही है।" जिसकी कोई पुख्ता सबूत नहीं होता।
इसीलिए दोस्तों,हमेसा कर्मयोगी बनने से जिबनमे कोई सार्थकता आसकता है जिसका है एक बास्तबिकता और यथार्थता। इसीको जीबन दर्शन बनाके कैसे एक ब्यक्ति जीबन को सफल बना -सक्ता है और निराशा की भावसे अपनी आपको दूर राखसक्ता है आज इसपर एक कहानी:
करुणाकर एकदम एक अच्छा इंसान। एक स्वाबलंबी ब्यक्ति। स्वभाव में एकदम निराडम्बर तथा सरल। परिबारके साथ अपना एक हस्ताखिलता जीबन बिताता नैनपुरी में। एक सेमि अर्बन इलाका। पढ़ाई कुछ जैदा नहीं। मैट्रिकु -लेशन की बाद प्रधानमंत्री दक्ष्यता बिकाश योजना के तेहत मोटर बाइंडिंग सर्टिफिकेट कोर्स करचुका है। इसी बारेमे उसका एक अच्छा दक्ष्यता है। सर्टिफि -केट मिलनेके बाद काफी प्रयास करचुका है मगर कोई नौकरी हाथ नहीं लगता तो अपनिहि घर में एक मोटर बाइंडिंग की दुकान प्रारम्भ करदिया।
उसका धंदा सुरुआति दौर में था तो पहले पहले उतना फ़ाएदा मंद नहीं था। लोग भी उसको और उसकी धंदाको उतना नहीं जानते थे। धंदा और अपना एक पहचान बनानेके लिए व एक कौशल अपनाया।
एक तो किसी भी मोटर बाइंडिंग काम को हाथसे नहीं जानेदिया। फिर किसीको कोई कामके लिए कोई फिक्स रेट नहीं करता। हमेसा अपना ग्राहकों पे इसे छोडदेता। सही समय पे कामको अछि तरह से करके सही समय पे ग्राहकों को देदेता। जिसे देखकर ग्राहक लोग उसपर काफी खुश रहते। जल्दही उसका क्षयाती सारे ओर चहटने लगा। मोटर बाइंडिंग काम अब उसकी पास आता कि अब व हैरान में है।
क्या करे.....? सोचता अब दुकान को बढ़ाना होगा। वैसाही हुआ। एक बड़ा सा काम्प्लेक्स में अपना धंदा करनेलगा। साथही कुछ कौशली कारीगरोंको भी अपने पास रखा फलतः कुछलोगों को तनखा पाकर काम करनेका अबसर मिला तो काफी सारे बेकार तथा बेरोजगारों को ट्रेनिंग लेनेका सहायता का एक स्रोत बना।
आज व बहुत सारे पैसा कमाता। दिल लगाकर करनेवाला उसका व कर्म अब रंग लाया है। काफी सारे बेकार निकम्मों को कौशली बनानेमें समर्थ बनता। जिन लोगों से व प्रतिबदल में कुछ आशा नहीं करता और उसकी जीबन में कभी निराशा की भाव नहीं आता।
दोस्तों,इन्हां अंग्रेजी की व कहाबत सही बैठता:
" Do everything with a good
Heart & expect nothing in return & You will never be
Disappointed ".
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