आत्मबिस्वाश बढ़ाने में कर्म का अबदान
संसार की नियम के तहत हर कर्म से निकलता है फल। एक बिचार शील ब्यक्ति होनेके नाते इंशान हमेसा करता प्रयास की कैसे हर कर्मसे अच्छा फल निकले सफलता मिले जो निर्भर करता ब्यक्ति की आत्मबिस्वाश पर । जिसका जितिना बड़ा होता आत्मबिस्वाश उसे उतना ही बड़ा सफलता मिलता। कर्म उतना ही बनता उच्चकोटिर। होता जाता प्रसिद्ध।
ये आत्मबिस्वाश को किसी में बढ़ाया जासक्ता अनुसरण करके कुछ महत्वपूर्ण पद्धतियां। ये सारे छोटे छोटे बातें सामूहिक रूप से किसीमें भी बढ़ाता आत्मबिस्वाश देता सफलता। जब तल लिखित बिषय पर कार्य करके सही रूपसे फल अमल किया जाए तो आत्मबिस्वाश बढ़ेगा ही:
अच्छे कपड़े पहनें
आभूषण हमेसा हमारे मानसिकता पे पकाता असर। हमारे मनस्तात्विक अबस्ता का रहता गहरे संपर्क खास कर हमारे पहनेगये कपडेके ऊपर। इसका मतलब ये नहीं कि दामी कपड़े का ही है इसके लिए जरूरत मगर साधारण तथा निराडम्बर कपड़ों के भी रहता उतना ही जरूरत किसीमें बढ़ाने में आत्मबिस्वाश जब वे होते स्वच्छ,साफ़ सुतुरी और सात्विक।
छोटे छोटे लक्ष्य बनाएं
जिबिन में लक्ष्य जरूर होनी चाहिए। लक्ष्य बिहीन काम हमेसा होता बिपथ गामी। इसीलिए जिबिन को सही ढंग से परिचालित करनेके लिए हमेसा लक्ष्य के साथ चलना है जरूरी और ये सारे लक्ष्य का भी जरूर होनी चाहिए बासताबि -कता। एक दिन में ही सारी लक्ष्य को हासिल करलेना बिलकुल है असंभब तो हमेसा धीर पानी पत्थर काटे नीति के तेहत अपनी छोटे छोटे कदमके साथ आगे बढ़ने से अपनी अंदर धीरे धीरे आत्मबिस्वाश बढ़ता ही जएगा।
ना कहना भी सीखिए
हमेसा अपनी आप भड़भड़ाना सही नहीं होता। कभी कभी सबकुछ प्रचार कर देनेसे आसक्ते अबांछित मुश्किलें। इसिलए कुछ तथ्य हमेसा गुप्त ही रहने दीजिए। साथ ही दूसरोंसे जैदा सुननेकी आदत रखिए। ये अपनी में हमेसा किसी भी कार्य में अभिजयंता बढ़ाने में उपयोगी बनेगा साथ ही कुछ नया सोचनेको देगा आपको पर्याप्त समय जो अपनी में आत्मबिस्वाश बढ़ाने में जैदा मददगार बन पाएगा।
गलती करनेको ना डरें
भूल किसके पास नहीं हैं दोस्तों,भूल से भलको शिखना भी है एक प्रणाली। इसीलिए हमेसा कुछ करनेका प्रयास है सही। कभी भूल या गलत की डर से कुछ ना करनेको मत सोचिए कियूं की आप जब कोई भूल भी करते वहीं से भी मिलती अनौखी अनुभूति। ये अनुभू -तियां परबर्ती पर्याय में हमें दर्शाता प्रसस्त मार्ग सफलता की जगाता मैन में दृढ़ आत्मबिस्वाश।
नियमित ब्यायम करें
ब्यायाम शारीरिक और मानशिक संतुलन बनाया रखता तो नियमित रूप से इसे अपना दैनिक कार्य सूची में शामिल करना है जरूरी। शारीरिक पूर्ति और मानशिक शांति हमेसा कोसीकी कार्य दक्ष्यता को बढ़ाता है जिसके साथ सफलता सीधी से जोड़ी होती।
अपनी उपलब्धियों को याद करें
जिबिन में हमे हमेसा अपनी अच्छी उपलब्धियों को पसंद करते हैं। ये सारे उपलब्धियां छोटे हो सक्ते हैं मगर जरूर मैन में सकारात्मकता हमेसा बढ़ाता किसी में आत्मबिस्वाश। इसीलिए हमेसा अच्छी उपलब्धियों को याद करना है जरूरी।
आंख से आंख मिलाकर बात करना सीखें
हमेसा नतमस्तक होकर किसीकी बासता स्वीकार करना अक्सर आत्मबि -स्वाश गिराने का कारक बन सकता है तो इसी से निजात पनेकेलिए हमेसा आंख से आंख मिलाकर बात कारनेकी कौशल को सीखनी चाहिए। ये हम में आत्मबिस्वाश बढ़ाने का उर्जा प्रज्वलित करके बाताबरण को करेगी प्रभावित।
हमेसा सफलता और विफलता कि विश्लेषण करे
केवल गधा बनके कुछ भी करनेसे कभी नहीं मिलती सफलता। कोई काम कारनेकी वक्त काम कंरनेकी वक्त या काम की समाप्तिकि बात उसपर जरूर होनी चाहिए अनुशीलन ताकि अगली बार कोई विफलता का स्वाद चाखनेको न मिले।
गॉड में यकीन करें
हर रचना की पीछे जरूर कोई न कोई एक रचयिता जरूर होता है दोस्तों तो इतिना बड़ा संसार का जरूर एक रचयिता है। हमें इसे स्वीकारना होगा कारण हमें हमेसा सफलता नहीं मिलता अनेक प्रयासोंके बापजुत तब मन में कभी कभी आजाता निराशा। ये निराशा घटा सक्ता हमारे में आत्मबिस्वाश। इसी समास्या से निपटनेकेलिए हमे जरूरत पड़ता self defence mechaan -ism की जो God में यकीन करना बनसकता सबसे उपयोगी देसकता मानसिक शांति और बढा सकता आत्म -बिस्वाश।
इसी से सिख मिलता है कि सफलता और आत्मबिस्वाश एक सिक्के की दो पहलु है । जिबिन को सफल बनानेके लिए आत्मबिस्वाश को बढ़ाना है जरूरी जो एक नीति की ऊपर है पर्यबसित। इसे अनुसरण करके आत्मबिस्वाश को बढ़ाने से जिबिन में सफलताका मार्ग हो पाएगा सरल और प्रसस्त। सभीको इसकी ऊपर ध्यान देनेका है जरूरी।
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