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सबसे कीमती उपहार


सबसे कीमती उपहार


दोस्तों,जीबन में अपनी ख़ुशी को किसी के प्रति जाहिर करनेके लिए या किसीके द्वारा प्रीती भाजन होनेके बाद उनसे उपहार की तोर पर कुछ पाना एक हे आम बात I हर किसीकी दिन प्रतिदिन जीबन में ये अक्सर होताही रहता हें I अपनी भिन्न भिन्न आकार ,प्रकार,रंग रूप ,गुण आदि दृष्टीकोण से ये उपहार समय , परिस्थितियाँ और ब्यक्तियों केलिए जरुरत होता भिन्न I अशर भी अपनी स्वतंत्र स्वरुप और गुनकी आधार पर किसीके ऊपर देखाता  लगता भिन्न I मूल्यांकन में भी लगता अलग मगर हमेसा कहीं न कहीं छोड़ती कुछ छाप किसीके ऊपर ये उपहार रूपी शब्द या द्रब्य I एक ही उपहार भिन्न भिन्न माहोल,समय और ब्याक्तिओं  के लिए रखता  भिन्न भिन्न कीमत जिसे कहते हे उसकी मूल्यबोध I

उपहार जब बनता प्रहाशन


उपहार जब किसीके लिए बनता निर्थक ,हराबसता अपनी मूल्यबोध I अनुपोयोगी बनजाता नाम लेलेता शब्द बेकार निरर्थक I आता गुण में गिराबट I किसी ब्यक्ति की समय और परिस्थिति  निर्धारण करता इसकी सीमा I उदहारण स्वरप ,एक भूखा पेट वाले आदमीके लिए उपहार स्वरुप भोजन भेंट करना जितिना होता उपयुक्त वही भेंट एक धनिक लोग को प्रदान करना नहीं रखता उतना ही मायेना I ऐसे एक ही उपहार कभी किसी के लिए होता उत्कृष्ट तो कभी कभी किसीके लिए बनता भी प्रहशन I अर्थ हिन I  इसीलिए हमेसा किसी को कुछ भी उपहार देनेसे पहले हमें जरुर देनिहोगी ध्यान की जिसे हम भेंट कर रहे हें उपहार उनके लिए इसक कितनी हे आबस्यकता और होगी असर दार I

आज इसीपर एक कहानी की कैसे  हम कीमती उपहार को पहचानेंगे I कैसे कौनसा उपहार ,किन किन परिस्थितियों में कितना रखता मायेना जिस से हम जान सके :

सुलोचना आज भी फ़ोन लगाती I फ़ोन बजती रहती क्रीं...क्रीं... क्रीं I कोई उठाते नहीं I कियूं  ? उसे पता नहीं तो फिरसे फ़ोन करती I करती कोशिस I इसी बार भी वेसा ही फोन लगती नहीं बोलती कुछी देर बात प्रयास करें I सुलोचना की मन में दुःख की भावाबेग अंशु की रूप में निकल आती I महसूस करती अकेलिपन की दुखी अनुभूति I रहती वही बंगलो में अकेली ही I

पति मनोरंजन अब रहते उनसे कहीं दूर I सात समुन्दर उसपार बिदेश में I नौकरी करते एक मरीन इंजिनियर की I एक बार घरसे गए तो पता नहीं रहता किसीको व लौटेंगे कब ? कमसे कम तो तिनसे छे महीने लगही जाता I जब व आते भी सुलोचाने के साथ रहते सिमित I व जितिनी समय घर में रहते अधिकाँश समय उसीपर ध्यान देते की केसे सारे जरुरत की चीजें सुलोचानको किया जासके मुहेइया ताकि अगली चार छे महिनेके लिए कोई नाहो किसी भी प्रकार का दिक्कत जो घर में उसे रहेना ही होगा फिरसे अकेली I

सुलोचना जिसे बिलकुल भी पसंद नहीं करता I आज व बुरी तरह से तंग होचुकी हे I नहीं चाहता एसी एक जिंदगी I पांच शाल होचुकी हे सड़को मगर अभीतक कोई बाल बच्चा हे नहीं I यही हे उसकी सबसे बड़ा परिसनी I जब भी कभी इसी बात को लेकर पतिदेब को कुछ कर -ती अपील तो फोन पे ये सुननेको मिलती , क्या हे परिशानी ? किसी चिजकी हे क्या कमी ?

कब तग आखिर चलेगा एसी एक जिंदगी ? क्या ये जिबन की मकसद ? दो दिन से व कहार्ही हे मनोरंजन को की अब हो गया हे बहुत नौकरी I और नहीं हें इसकी जरुरी I अब नहीं कोई पैसे की कमी I आपको देनी होगी नौकरी से रिजाइन I ये बढादेता मनोरंजन की परिसानी I अब व घर में करेगा क्या ? केसे कटेगी ग्रहस्थ जीबन वहीँ I मुसीबत ही मुसीबत जो जिन्दगी की सबसे बड़ा परिसानी I इसीलिए सायद व आज सुलोचानाकी  फ़ोन उठाता I

फिरसे सुलोचना करती फ़ोन I इसिबार लग जाता I कुछ बातचीत चलता और चलता जुबानी की हातापाई दोनों में I बात होता जाता कड़बी I दोनों दोनोको कुछ भी बोलते जाते I अज्यांत आगे क्या होगा I आखिर कार मनोरंजन अपना फ़ोन को क्रोध में आके फ़ेंक देता I बात वहीँ पे लेता अपनी परिसमाप्ति मगर लेता एक भिन्न रूप बनाता एक भिन्न परिस्थिति I

सुलोचना चलाजाता हरिद्वार  जहां उसकी सहली कमला रहती I व एक समाज सेबिका I उनकी एक असहाय ब्रुद्दाश्रम भी चलती I कमला अचानक सहली को देख के चौंक जाती और उससे सारे बातें सुनती I समझती परिस्थिति सचमुच हे गंभीर तो रहने को इजाजत देदेती I

कुछ दिन उपरांत कमला मनोरंजन को बात बतादेती तो व अगली दिन आके होजाता उपस्थित I सुलोचना और मनोरंजन के बिच फिरसे होता कुछ हॉट डिस्कशन(बातचीत )I वहीँ पे कमला भी होती I मनोरंजन बारबार कहाराहती थी सुलोचना को एकही बात ,तुम्हारा वाहां क्या था कमी ? सुलोचना कहारही थी  मुझे नहीं चाहिए एसी उपहार की जिंदगी I एक स्त्री होने के नाते मुझे चाहिए मेरे सम्मान ,मुझपर होनी चाहिए तुम्हारा ध्यान और कीमती समय जो तुमसे मेरा हे अधिकार I


सबसे कीमती उपहार

सबसे कीमती उपहार



इसी से ये सिख मिलता हे की किसीके लिए किसी का सबसे बड़ा उपहार हे समय और उसकी ध्यान जो व दूसरी के प्रति अपनी जिबंकी कुछ अंश उपहार स्वरुप प्रदान करता I इसी उपहार से बाकी सारे गौण होता I


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