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जोखिम लेने का प्रयास करें.....


जोखिम लेने का प्रयास करें


दोस्तों, हमलोग सभीने ये जानते हें की जीबन में अनेक बार सफलता पानेके लिए जोखिम उठानेकी जरुरत पड़ता है I ये भी सत्य है की जितना बड़ा जिखिम होता हे उतना बड़ा सफलता भी उसकी अन्दर छुपी रहता है I साधारण तोर पर मगर जोखिम उठानेको कोई नहीं स्वीकारते कारण उनमे डर तहता असफलता का परिणाम में I पहलेसे ही वे लोग असफलता की परिणाम के बारेमें सोचते तो आपनी मन और दिल में नैराश्य जनक मनोभाव जगउठता और ब्यक्ति को उस दिसेमें बढ़ने से रोकता I जो बनजाता एक बहत बड़ा सफलताका परिपंथी I

जब कोई उठाता कोई जोखिम


जब कभी कोई जोखिम उठाता तो खुल जाता सफलता की द्वार I उनमे स्थित डर का होजाता अंत I चाहे सफलता मिले या नहीं उसे जरुर मिलाता एक नाई अनुभूति और आत्मबिस्वाश फिरसे अपनीअप को नई रूपसे आगे बढ़ने के लिए उत्कंठा और एन्फोर्श्मेंट I कभी ये जोखिम देता भी सफलता कराता जिबन युद्ध में बिजयी I आज इसी बिषय पर एक कहानी आपके समक्ष्य :

एक युद्ध चलरहा था , दो नजदीकी पडोश मगर बिरोधी देशों के बिच I बॉर्डर में हरदिन चलता आरहा है युद्ध I उभय पक्ष से मर रहे हे अनगिनत सैनिक I आपनी आपनी देश को बिजय दिलाने को लेकर उद्दिपना सैनिक गण निउछार करते जारहे हें अपने जान रख्नेको जन्म भूमिकी माँ सम्मान I

जुध को जित्नेके लिए उभय पक्षी से अपनाया जारहा हे आपनी आपनी युद्ध कौशल जो एकदम कडक I सभीने मानते हैं I एपीआई युद्ध कौसल की तेहत वे कई ट्रूप्स में आपनी अप को बिभक्त करके भिन्न भिन्न स्थान पर युध को अंजाम देनेको कोशिस करते I

एसा एक ट्रूप में दश सैनिक थे I वे लोग सामूहिक रूप में सत्रु अधिकृत एक इलाका को अधिकार करनेके लिए लगा रहेथे प्रचेस्ठा i ये युद्ध की अंतिम स्थिति भी था I बाकी सारे सैनिक भी बीर गतिको प्राप्त होचुके थे I उसवक्त बिरोधी सतुओं के सैनिक संख्या में बहत थे ही I सफलता का कोई अश ही नहीं थी I ये घी एक बात की बचके निकलने की भी कोई अबसर था भी कहीं I केवल एक ही बात हात में व है करना प्रयाश और लेनेका अतिरिक्त जोखिम I यानी एसा एक स्थिति या मिलेगा बिजय जो सफलता नहीं तो मौत और हार I

चलता रहा प्रयास दोनोही तरफसे I रमण बहादुर था ही एक बीर और बहादुर सैनिक जो आगे बढ़ता गया मारना या मारनेका मनमें था जिसका भावना किउंकि हाथ में भी कोई और पन्था था ही नहीं I पीछे आरहे थे बाकी साथी गण I आँखों की सामने बिर्गति को पारहे एक के बाद एक मगर रमण चल रहाथा अकेले I जब सत्रु सैन गण उसे ही टार गेट करते गए I व काफी गोलियां खाया मगर अंतिम समय में टलगया धरती में I सत्रु सैन्य गण भी उसवक्त मर्चेके थे काफी मात्रा में महज थी पांच हाथ गिनत I वे ये समझने लगे की अब वे युद्ध जित गए I मगर उसवक्त रमण बहादुर बिरगति को प्राप्त नहीं हुई थी I

दुरसे जब व ये देखा की स्त्री सैन उसकी पास आरहे थे I व आपनी आप को मृतबत लेटारखा I वे लोग पास आए और निरिक्ष्याँ कर के जब लौत्नेही जरहेथे ये सोचके की वे बिजय हो गए किउंकि रामण की रूपमें अंतिम सैनिक को भी वे लोग मार गिराए हैं I ठीक उसी समय रमण आपनी बंधुक उठाकर सभीको मारडाला I ये था उसके द्वारा लियेगये वाला अंतिम जोखिम जो उसे सफलता भी दिलाया और जान भी I


जोखिम लेने का प्रयास करें.....
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यही से ये सिख मिलती है की जोखिम लेनेसे सफलता मिलनेकी संभाबना अधिक बढता है I इसीलिए जोखिम लेनेका मनोब्रुत्ति हमेसा मनमी रखनी चाहिए जब आप सफलता चाहते हो तो I

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