सुखी जीवन का सूत्र
सुखी जीवन का सूत्र |
सुखी जीवन का सूत्र |
हत्या मत करो या हत्यारा मत बनें। दूसरों के जीवन का सम्मान करें। दूसरों को धोखा देने की कोशिश मत करें। ईर्ष्या, घृणा बावसे दिलको साफ रखें, ईमानदार रहें। यह आत्मा की शांति, मोक्ष है और यह निर्वाण प्राप्त करने में मदद करता है - यह एक सुखी जीवन की कुंजी है। सत्य निहित था तथागत के दर्शन । दुःख दूर करने के लिए तथागत इन सभी तरीकों को दिखाया था। कई लोग खुशी की संधान और दुखसे निबृत्ति के लिए उसके पास पहुंचे थे।
विशाखा नाम की एक
महिला उस दिन बहुत उदास हालत में थी। तथागत तक पहुँच गया। उसकी दयनीय हालत देखकर तथागत
ने आश्चर्यचकित होकर पूछा, "आप इस हालत में
क्यों हैं?"
बहुत बतकिस्मत हे मेरा ! मेरे पोते की मृत्यु हो गई। उसका नुकसान मेरी मानसिक दुःख का कारण है I
आप बता सकते हैं
कि श्रावस्ती में हर दिन कितने पुरुष और महिलाएँ मरते हैं। "मैं सटीक संख्या नहीं कह सकता, लेकिन हर दिन बहुत सारे पंच्त्व प्राप्त होते
हैं –कहनेलागी विशाखा।"
“स्राबस्ती में
रहनेवाले नर नारीओं के प्रति तुम्हारा स्नेह श्रद्धा जरुर होताहोगा” –तथागत ने
पूछा I
हाँ भगबान ! में सभीको प्यार करता हूं I
तथागत ने उसकी पुत्र, पौत्र के बारे में पूछा। । उनको भी पुत्र बत स्नेह करती - विशाखा ने कहा।
एक मुस्कान के
साथ तथागत ने कहामुझे पता हे हर दिन
श्रावस्ती में एक या दूसरे लड़के को पंचतत्व मिल रहा है - मुझे अभी बताओ विशाखा आप
हर दिन उनके असामयिक निधन के शोक में हैं रह सकेंगे I
संकोच के साथ बिशाखा
ने बोला “नहीं महाभाग”I
आप जानते हैं, यह लगाव जितना गहरा होगा, संबंध उतना ही गहरा होगा, उतना ही दुखद होगा। याद रखें जीवन में खुश रहने का एकमात्र तरीका किसी के साथ (घनिष्ठ बंधनों में) जुड़ना नहीं है। निजोड़ बंधन ही दुखकी कारण I जहां आशक्ति क्षीण वहाँ ममताका बंधन भी क्षीण होता हैI तथागत के बाणिको सम्झ्पाया बिशाखा I सिख गया सुखी जीबन का सूत्र I
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें