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सुखद जिबनकी परिकल्पना

 

सुखद जिबनकी परिकल्पना

 

एक फकीर एक शहर से गुजर रहा था उसी वक्त अचानक कुच्छ लोग आये और उसे घेर लिया। इससे पहले कि वह कुछ कर पाता फकीर को महल में बुला लिया गया। फकीर ने पूछा- क्या है?

 

लोंग कह्नेलागे की "यह बस हमारे राज्य के कानून है। आज जैसी  दिन के दौरान पूजा स्थल पर प्रकट होने वाला पहला व्यक्ति जो होते वह हमारा राजा बनते हैं I”

आप वहाँ हैं। पहले पहुंच गया। तो तुम हमारे नए राजा। ।  "यह ठीक है," फकीर ने कहा। तब उनका अभिषेक किया गया। फकीर ने कभी अपने खाने-पीने की व्यवस्था की कल्पना नहीं की थी I

 

उसीकी उतना खातिरदारी होनेलगा जितना व कभी सोचा नहीं था I वह स्वादिस्ट आहार खाता ही रहता। एक नरम गद्दे पर व अक्सर सोया करता था। | कभी-कभी आधा सो जाता था। नर्तकियों को नाचते देखकर खुशी होता था। - हाँ। फकीर का पूरा विलास। नशे की लत में डूब गया था।

 

यह एक लंबा दिन था I खत्म हो गया। अचानक एक दिन लोगों के एक समूह ने उसके कमरे में प्रवेश किया और कहा, "यह छोड़ने का समय है।"

एक नया राजा आ रहा है। फकीर अपना मुलायम गद्दी पर सोरही थीI

वह नार्ताकियोंकी नाच देख रही थी। । यह सुनते ही, उसके दोस्त ने राहत की सांस लेते हुए कहा, "हाँ, और फिर वह चला गया, अपने पुराने कपड़े पहने हुए, और बैग पकड़े हुए, मानो की जैसी वह कभी राजा नहीं रहा हो या महल में आराम कर रहा हो।"


सुखद  जिबनकी परिकल्पना
सुखद जिबनकी परिकल्पना   


 बातमें काफी सत्यता है दोस्तों I उपलक्ष्य स्वरुप ,जब हम कोई कोयाको सुकला बस्त्र परिधान कर्वालेनेसे व कभी बतख नहीं बनसकता I ये जिबनकी कुछ बुरी सहजात प्रब्रुत्तियाँ सहज में जाते नहीं I उसे खातं करनेके लिए आबस्यकीय बनता संस्कारकी जो किसी भी ब्यक्ति को अंदरसे परिबर्तन करनेका क्ष्यमता रखता I इसीसे यह प्रतीत होता है की कौशल और उत्तम प्रबृत्ति बिना एक सुखद जीबन जिबनकी परिकल्पना असम्भब है I

 

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