Life Blog Directory Btc roulette जो अपने सहायता करते हैं..... | INDIAN STORIES -->

जो अपने सहायता करते हैं.....

सेठ रामलाल और पत्नी चारुबति काफी दिनों से परिसानी में हैं कि सादी के बारह शाल बितनेके बाद भी उनको शान्तान का कोई सुख नहीं। आस पड़ोस के लोग अब चरुबतिको बांझ कहने लगे हैं जो उसे अच्छि नहीं लगती। लेकिन व करे क्या? सेठ जी के पास  उसकी बारेमें सोचनेके लिए कोई समय है काहाँ? हमेसा लगे रहते हैं अपने धंदे में। आज चारुबति ठान ली है अपनी मनमे की जैसी भी है व सेठ जी को इसीके बारेमे ज़रूर बताएगी।
जो अपने सहायता करते हैं...

सेठ जी का एक कपड़े की बहत बड़ा दुकान है। सेहर की सबसे बड़ों में से एक है। रोजाना एक लाख की आसपासकी कमाई। कहते है लोग, "मरीज को जानकी और बांझ को दौलतकी लोभ रहता है।" जिसकी ज्वलंत उदाहरण खुद सेठ जी ही है। जीबन में काम ही काम भारी ब्यस्त बहुल जीबन। घरकी हालात पर कभी कोई चिंता ही काहाँ? सुबह से घरसे निकलते हैं और देर रातको लौटते हैं। ये उनका दिन प्रतिदिन का जीबन चर्या है।
रात में उसदिन सेठ जी जब घर आते हैं पत्नी चारुबति खाना लगाते हैं। खूब एक शांत परिबेश। अपनी कोकिल कंठ में पति को बोलते हैं, "सेठ जी आप रोज इतिने सारे काम कियूं करते हो? क्या होगा इतिने सारे धन कमानेसे? इतिने शाल बाद भी घरमे अभीतक शान्तान की कोई सुख ही नहीं। अबशोस ये है कि आप का इसपर कोई ध्यान ही नहीं। उत्तर में खाना खातेहुए पत्नी चारुबति से सेठ जी कहते हैं," अरे ये कोई बात है? जिनपर हमारा कोई करना नहीं उसपर भला हमे फ़ाएदा है क्या? व तो हमारे बस की बात है नहीं। भगबान चाहें तो अबस्य एक न एक दिन शान्तान का सुख भी मिलजाएगा। पूजा पाठ तो चलहि रहा है। आगे देखते हैं। क्या कुच्छ भाग्य में है? भगबान कब हमपे कृपा करते हैं? "
सेठ जी के बात को पलटवार करतेहुए चारुबति बोलती, "हाँ... हाँ, तूने ये भी तो सुनाहोगा की भाग्य सिर्फ़ उनके ही साथ देता हैं जिन्होंने खुद अपना सहायता करते हैं यानी कुच्छ ठोस कोशिशें करते हैं। मैने ये सुना है कि हमारे ही सेहर की ड। पांडे जी इस बारे में माहिर है। हमारे जैसे कितनो को शान्तान की सुख देचूके हैं। सोचती हूँ हमे भी उनके पाश जाके कोई कोशिश करलेनि चाहिए। तुम्हे क्या लगता है?"
पत्नी की इतनी सुंदर सुझाब को भला सेठ जी कैसे नकार सकते। बेचारा सेठ जी"ठीक है बोलके वहीं पर ही बोलदेते हमलोग कालहि जाएंगे।" चारुबति बहत खुश होजाती।
सुबह होते ही चारुबति शृंगार करके तैयार होगेई सेठ जी के समक्ष्य। सेठ जी भी बिना समय गबाए बुलालेते ड्राइवर को और पहंचजाते डा।  पांडे जी के क्लीनिक पे।
सेहर में सेठ जी को कोई नहीं जानते? दूर से ही देख के डा। पांडे जी बोलने लहे, "क्या सेठ जी? क्या तखलिफ़ है? कैसे आना हुआ?" सेठ जी बोलते हैं, "बात तो गंभीर है पांडे जी। मेरे पत्नी बड़े परेसानी में है। आप ज़रा उसे अच्छे से इलाज करलीजिए। सब कुच्छ आपके ही हाथ में है।"
डा। जी चारुबति को चेकिंग रूमपे लेलेते हैं और सकुच पुछते हैं। चारुबति भी सारे बातें सचसच बतादेती। फिर बाहर आके कुछ टेस्ट के लिए खुनकी नमूने लेलेते और टेस्ट कनेके बात कुच्छ दबाइयाँ लिखके दोमहिने बात लानेको बोलते हैं।
डा। जी के कहने की अनुसार आज दो महीना हुआ है तो सेठ जी और चारुबति फिर से डा। पांडे जी के पास जाते हैं। डा। पांडे जी कुच्छ टेस्ट करतेहुए सेठ जी को ये खुश खबरी देते हैं कि व बाहत ही जल्दी बाप बनानेवाले है। "ऐसा एक खुश खबरी सुनते ही सेठ रामलाल की खुश्की सीमा नहीं रहा। व बोलने लगा" , वा डा, जी वा, मानना पड़ेगा आपका हाथको। हाथ में रहनेवाले आपकी जादुई छड़ी को। धन्य हो आप और धन्य है आपकी हाथ यश। "

जादुई छड़ी


इसीसे ये सिख मिलती है कि भगबान या भाग्य कहो हमेसा उन्हीके साथ देता है जोलोग खुद अपने सहायता करते हैं। 
SHARE
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
  • Image
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें