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असीम उत्तकंठा

असीम उत्तकंठा

कमला एक छोटीसी लड़की। मेहज बारह शाल का उम्र। शंकरलाल शर्मा का एक ही लाडली। पिता जी को माता जी से अधिक प्यार करता कियूं की माता जी उसे हमेसा कोई भी काम करने से मनाकरती। ये मत कर व मत कर बोलती ही जाती और बात बात पे ही गालियाँ देती। ये था कमला की माँ से पिता जी को जैदा प्यार करने का बजह। जब भी माँ उसे कभी गालियां करती तो कमला माँ को बोलती,"इसीबार पिता जी को घर आनेदो, मैं सारे बातें बताऊंगी" इतिना ही बोलके कभी रोलेती तो कभी घरकी कोई कोने में जाके दुःखी मन बैठ जाती।

शंकरलाल जी गाँब से बहत दूर दहीरपुर सेहर में नौकरी करते हैं। छुट्टी जैदा तौर नहीं मिलता तो कभी कबार दो तीन महीने में एक बार घर चलेजाते मगर फ़ोन पे हमेसा पत्नी और बेटी के साथ बातचीत चलता ही रहता। कमला फ़ोन पे ही पिता जी को माँ की बिपक्षय सारे बातें बतादेती थी तो पिता जी ये बोलके आस्वासना देदेते की ,"जब मैं इसीबार घर आऊंगा ना तेरी माता जी को जरूर निकाल दूंगा बेटी अब तो धीरज रख,मुझे घर आनेदे।" फिर आस्वस्ति लेके कमला पिता जी से पूछती की व कब आएंगे ?" पिता जी बोलते हैं कि व अगली बृहस्पति बार को घर जरूर आएंगे।

इसबार कमला तीन माह होगेया पिता जी को नहीं देखा है। ये सुनते ही कि पिता जी अगली बृहस्पति बार घर आएंगे उसकी आनंद की और सीमा नहीं। उंगली गिनते ही जारहा है ये जानने के लिए की अब पिता जी को आने में कितने दिन बाकी रहगेया।

आज व बृहस्पति बार आकर उपस्तित होचुका है। कमला की खुशी की कोई ठिकाना ही नहीं। कभी घर से बाहर निकलकर बाहर की तरफ देखता है फिर घर आके ही माँ को पूछता है कि "माँ पिता जी अभीतक कियूं नहीं आये।"माँ बोलती,"आतेही होंगे।" जितिना देर होते जारहाथा कमला की उत्तकंठा और जैदा बढ़ता ही जारहाथा। आखिरकर साम होनेही वाला था। कमला मन मे कुछ भी ना सोचते हुए गाँव से बाहर रास्ते पे दौतड़ते दौड़ते गाँब से दूर चलागेया। अंधकार हो चुकाथा। अचानक एक काल रूपी तूफान कहीं से निकला। अति भयंकर। फिर कुछ ही देर में ही थमगेया।

तूफान थमने के बात पिता जी घर पहंचगये और "कमला बेटी ,कमला बेटी तुम काहाँ हो बोलके पुकारने लगे।" कामला की कोई जवाब ही नहीं था। पत्नी को पूछने लगे आखिर कमला गई काहाँ ? पत्नी का ये उत्तर था कि"मैं तूफान की पहले से ही कमला को ढूंढ रही हूं मगर व अभीतक मिला नहीं।" सुनते ही पिता जी को शंका हो गेया। तुरंत ही व हाथ में एक टार्च लेके वही रास्ते पे ही निकले। कुछ ही दूर जाने के बात ये उसकी नजर में आया कि एक बहत बड़ा पत्थर से ठेस के कारण कमला का मौत हो चुका है। व रोते ही गये ,रोते ही गये.....।
इसी से ये एक सिख मिलती है कि उत्तकंठा का सिमा किसी को भी कोई स्तर को लेसक्ता है।

धन्यवाद.....


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