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समस्या समाधान का एक बेहतरीन तरीका

समस्या समाधान का एक बेहतरीन तरीका

सुलीना अब बड़ी होगेई है। किशोरी बालिका। अपनी में स्थित कूछ खामियों को लेके व अब काफी परिसानी में हैं। इन सारे खामियों में से उसकी असुन्दरता सबसे बड़ा है। देह की साबना रंग और मुहूं की गठन भी उतनी अच्छी नहीं है। ये एक बात को लेके उसे कईबार दोस्त लोगों के समक्ष्य लज्जित होने को पड़ता है। व काफी परिसानी में है। अपना आत्म बिस्वास दिनवा दिन गिरता ही जारहा है। उसकी असुन्दरता को लेके हरकोई मजाक उड़ाते हैं जो उसे अच्छा नहीं लगता। परिसानी से मानसिक चाप बढ़ता ही जाता जिसकी असर बाकी सारे कामों में स्पष्ट रूप से अंदाज लगजासक्ता। पढ़ाई से लेके उसकी जीबन की हर क्ष्येत्र प्रभावित होता जाता।
ऐसा नहीं कि इस समस्या से निपटने के लिए व कोई प्रयास नहीं करता। माँ से लेके आत्मीय परिजनों तक सलाह लेता मगर अबसोस किसीसे सही तरीका सीखने को नहीं मिलता तो समस्या समस्या बनके हि रहजाता। इसकी असर कभी उसको रुलाता तो कभी उसको ईर्ष्यालु और क्रोधी बनाता। उन की सकारात्मक मनोभाव बदल के अब नकारात्मक रूप लेलिया है।

सुलीना का पिता जी संभुनाथ एक बहत बड़ा बिद्वान। उन्हें हरकोई जानते। एक दिन मंदिर में सुलीना का स्कूल की मास्टर जी के साथ पंडित जी की मुलाकात हुआ संजोग से। आपस मे कूछ बातचीत करते करते मास्टर जी पंडित जी को बोले,"आप का इज़्ज़ाजत हो तो मैं एक बात फरमाना चाहता हूँ।" पंडित जी तुरंत ही बोलने को इज़्ज़ाजत देदिये तो मास्टर जी फरमाए की इसी बार स्कूल परिक्षया में सुलीना सबसे निचली नंबर पे है। आचंबित की बात है। आजकाल क्या होता सलीना को पतानहीं । आप को इसपे जरा ध्यान देना ही पड़ेगा।" पंडित जी बोलने लगे ,बहत एक गभीर बात बतानेके लिए आपको बहत बहत धन्यबाद। मैं इसपर जरूर नजर रखूंगा बोल के वहीं से प्रस्थान करनेलगे।
कुछ ही देर बात घर पहंचगये। साम हो चुकी थी। आते ही बेटी सलीना को ढूंढने लगे। ढूंढते ढूंढते जापहंचे उसकी बेडरूम पे तो ये देखे की सम्पूर्ण एक अंधकार  कमरे में व बैठ के कुछ सोच रहा है। पिता जी सुलीना को अपनी साथ किचेन में लेगये। तीन चूल्हा में तीन पात्र बैठाये और पानी उबालने लगे। कुछ देर बात ही एक पात्र में आलू,दूसरे में एक अण्डा और तीसरे में कुछ काफिबिन डाल के और जैदा उबालने लगे। कुछ देर बाद फिर चूल्हे से उतार के भिन्न भिन्न पात्रों में रखडाले। उसके बात आलू और अंडे से छिलका निकालडाले और काफी को एक कप में डालदिया। सुलीना को अब पूछने लगे "क्या कुछ समझ मे आया या नहीं।"

बेटी सलीना "नहीं बोल के ही सर हिलादिया।" पिता जी समझाने लगे ,देखो बेटी आलू पकने के बात नरम हो गई। अंडा पकने के बात कठिन और काफिबिन से पकने के बात और मजेदार सुगंध निकलरहा है। अब समझो कि ये गरम पानी तीनों चीजों के लिये एक समस्या है जो भिन्न भिन्न चीजों को भिन्न असर पकाके भिन्न एक रूप देरहा है। समस्या रूपक ये गरम पानी जो आलू को नरम बनाता तो अंडा में स्थित नरम बस्तु को कठिन बनाता है कारण ये चीजें समस्या को मुकाबला करने में विफल बने हैं और अपना ही अस्तित्व खोडाले हैं। एक दबगेया तो दूसरा अपना गुण को खो के कठिन रूप लेलिया मगर काफिबिन को देखो अपनी आप न बदलके समस्या पैदा करनेवाली पानीको ही बदलडाला। अब समस्या की मुकाबिला तुम कैसे करोगे ये तुमको ही सोचना चाहिये। तुमको ही चुनना चाहिए,"a good way for problem solving."

यही से ये एक सिख मिलती है कि समस्या आनेपर अपनि आप को ना बदल के डटकर समस्या को बदलने को प्रयास करना चाहिये। समस्या समाधान का ये एक आसान और बेहतरीन तरीका है।

धन्यवाद.....


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