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कैसे श्रम पेहेचान का स्रोत

कैसे श्रम पेहेचान का स्रोत


  जदुनाथ आफ़िश से लौटते ही पत्नी लीजा को पुछनेलगे,अरे लीजा,बेटा रोशन काहाँ है? माँ उस वक्त कोई घरोई काम पे ब्यस्त थे,पता नहीं था कि बेटा गेया काहाँ। फिर पति पत्नी मे कुछ बचसा हुई और दोनों रोशन को ढूंढने मे लगगये। पिताजी चलेगये आसपड़ोस की रहने वाले रोशन के दोस्त लोगों के घर,ये पूछने के लिये की "हमारे रोशन इँहा आया था क्या? एक के बाद एक को वही एक ही बात पूछते हैं। जवाब भी सभी से एक ही मिलता ,नहीं तो रोशन आज हमारे इँहा नहीं आया है।" ऐसे सारे बातें सुन सुनके जदुनाथ का क्रोध बढ़ता ही जारहा था। मनहि मन सोच ये रहते थे आज उसको जरूर दंड मिलना चाहिए। नहीं तो ये बच्चा और आगे सुधरेगा कब। कितने बार कहचुका हुँ स्कूल से आने के बाद घर की बगल मे ही खेलाकरो मगर बात सुनता हि नहीं। ऐसा ही सोचते सोचते घर वापस आगए तो बेटा रोशन चौखट पे ही खड़ा था। देखते ही पिताजी उसको मारनेलगे।

  रोशन एक छोटासा बच्चा पांचवी कक्ष्या मे पढ़ता है। उम्र मेहज ग्यारह साल। रोतागेया रोतागेया। ठीक उसी ही समय पर माँ लीजा पहंच गई तो बच्चे को समझाने बुझाने के लिये पिताजी से दूर कहीँ ओर एक कमरे मे लेगये और समझाने लगे। बेटा रोरो के ये बोल रहाथा। "मेरा भूल काहाँ है माँ,में तो घर की बगल मे ही जो दस आम की पेड़ लगाया हुँ, उसको पानी मडाया करता था। गुरुजी हमेसा कहते हैं कि पेड़ लगाना एक अछि काम है। पेड़ लगाने से परिबेश स्वछ और स्वस्त होता है। ये सारे हमलोग आसानी से फुरसत की समय मे करसकते हैं। कल इतबार था तो मैं दस आम की पेड़ बगल की पतित जमीन पे लगाया हुँ। पेड़ पौधों को जीवित रहने के लिये पानी की जरूरत तो है न माँ, इसीलिए स्कूल से आते ही मैं वहीं पे गेया था। पेड़ पौधों को पानी पिलाने। बिना सोचे समझे पिताजी मुझे मारते हैं। क्या मुझे ऐसा करना नहीं चाहिए माँ?"

  ये सारे बातें सुनते हुए माँ लीजा की आँख से धारा निकल गई। बोले ,बेटा अब चुप हो जा। तूने कोई गलत नहीं किया। तुम्हारे पिताजी काफी दुस्ट है जो तुम्हें अछि काम करतेहुए भी मारते हैं। ऐसा बात माँ की मुहँ से सुनते ही बेटा रोशन बोलनेलगा,"नहिं माँ, मेरे पिताजी कभी भी दुस्ट नहीं हो सकते। व हमेसा मुझे तुम से भी जैदा प्यार करते हैं। ठीक समय मे हर रोज मुझे स्कूल पे छोड़ते हैं। मेरे हर जरूरतमंद चीज खरीदकर लाते हैं। रातको कहानी सुनाते हैं। मेरे पापा सबसे अच्छा ही है।" इतिना ही बोल के पापा के पास पहंचगेया।

  उस वक्त जदुनाथ ड्राइंग रूम मे एक चौकी पर बैठ कर चुपचुप के रो रहेथे। ये सोच के की उनसे आज कितिना बडा एक भूल होगेया। बेकसूर बेटा को कितिना नहीं बेरेहेम से मारा। बीटा का कितिना बड़ा महत उद्देस्य है। उसका अच्छा काम के लिए ऐसा एक दंड मिलगेया जो बिलकूल गलत निकल गेया। रोशन देख के रोतेहुए पिताजी की आंसू पोछनेलगा। पिताजी तुरन्त रोशन को गले में लगाके बोलनेलगे,"माफ करदो बेटा। आज मुझ से ये एक गलती हो गई। आज से स्कूल से आते ही तुम हरदिन तुम्हारा ये काम जरूर करोगे।"

  उसी दिन से रोशन हरदिन स्कूल से आते ही बगीचे मे जाके पेड़पौधों की देखभाल करता। रोशन का उम्र बढने की साथ साथ पेड़पौधे भी बढनेलगे। उनकी देखभाल मे रोशन कभी कोई कमी नहीं रखता। खाद पानी से लेके खुदाई,सफाई हर चीज नियमित रूप से करता। इसी कार्य मे उसका ऐसा लगन लग गेया की कोई समय ही नहीं बेकार बातें करने मे या अबसर समय को बिनोदन करने मे। ये सारे बातें देख के दोस्त लोग रोशन को उपहास करते हैं। बोलते हैं," हा..... हा,कोई कभी पेड़ पौधें को लगाके बडा आदमी बना है। अब हमारे रोशन बनेगा बड़ा आदमी। पेड़ों का रखवाला।" रोशन उनके सारे ताछलयकर बातों को समझता है मगर चुप रहता। हमेसा मन मे ये दृढ़ बिस्वास रखता की एक न एक दिन उसका मेहनत रंग जरूर लाएगा।

  अब रोशन बड़ा हो गेया है। आम की पेड़ मे भी फल आनेलगी है। लो,इतिना बाडा बडा आम! एक एक आम का वजन दो से तीन किलो। ये बात सारे ओर जल्द ही प्रकट हो गेया। एक कृषि गबेसक का दल रोशन की बाग को प्रदर्शन करने को आये। सारे बातें पुछने लगे की व क्या कुछ किया ताकी इतिना बडा आकार की आम फलनेलगा। रोशन सारे बातें बताया ,वे लोग रोशन की आम को अन्तःरास्ट्रीय आम प्रदर्शनी मे भेजने से वहीं पे भी रोशन की आम पहला निकला। रोशन को तीन लाख रुपैया नगद पुरस्कार इनाम और एक फलक मिला। एक उत्कृष्ट आम का किशान की रूप मे पेहेचान मिलगेया।

इसी से ये सिख मिलती है कि मेहनत कभी न कभी जीबन मे रंग लाताही है तो कोई भी काम को छोटा या बड़ा समझना गलत है। हर एक काम का अपना एक महत्व होता है। कोई भी काम को हमे सम्मान करना चाहिए।

धन्यवाद.....
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