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तितली के पेड़ की कहानी

 

तितली के पेड़ की कहानी
तितली के पेड़ की कहानी 

  उस हरे-भरे जंगली इलाके में एक विचित्रता में बदल गई।  यह एक बड़े अक्षरहीन पेड़ की स्थिति में बदल गया, कई हरे-भरे अनुभवहीन पेड़।  जंगली क्षेत्र के उस स्थान पर घनघोर वर्षा होती थी।  दो छोटी नदियाँ भी वहाँ से होकर निकलीं।  वन क्षेत्र के भीतर हर तरफ हरियाली के रंग-बिरंगे रंगों के बीच रंग-बिरंगे पौधों की रौनक देखने को मिली। सुबह और रात के समय पूरा जंगल क्षेत्र पक्षियों की आवाज से गूंज उठा।  


  वहाँ जंगली क्षेत्र के बीच में एक बड़ी झील में बदल गया।  उस सरोवर में कमल खिलता था।  लेक टूरिस्ट एक तरह से और व्यापक से सहकर्मी की ओर वापस लौटते थे।  उस हरियाली के बीच बिना पत्ते का सूखा पेड़ अजूबा सा नजर आया।  यह इतना आसान नहीं है, सूखे पेड़ के पार एक विशाल घेरे में भूमि बंजर हो गई।  भारी वर्षा के बाद भी अब उस भूमि पर घास का एक अविवाहित पत्ता भी नहीं उगता था।  लोग आ सकते थे और अपनी बाहों को अपने दांतों के नीचे दबा कर उस स्थान को देख सकते थे।  वे हर तरह की चीजें करते हैं।  


  वे कह सकते थे, 'यह क्यों सूख गया है!'  लोगों की बातें सुनते-सुनते पेड़ दुखी होकर उभर सकता था, एक बार हरा भी हो गया।  पक्षियों के झुंड वापस लौट जाते थे, लेकिन अब एक अविवाहित मुर्गी सूखे पेड़ के पास नहीं उड़ सकती थी।  लेकिन एक रात पहली दर की घटना घटी।  पेड़ ने देखा, उड़ता हुआ एक मुर्गे यहां आ गया।  पहले उसने पेड़ के कई चक्कर लगाए, फिर धीरे-धीरे सूखी शाखा पर आ गई।  पेड़ बस इसके साथ सच के रूप में स्वीकार नहीं कर सका।  अगर वह संयोग से उसके विभाग में आ जाती और अपनी गलती का पता चलते ही उड़ जाती।  सूखे पेड़ के मन की बातें मुर्गे के मन तक पहुंचीं।  



  उसने धीरे से अपने पंख फड़फड़ाए और कहा, "पेड़ भाई, इन दिनों मैं वास्तव में आपको पूरा करने के लिए सबसे सरल आया हूं। पेड़ ने कहा, "बहन मुर्गी, इन दिनों कितने वर्षों के बाद मुर्गी के पंख मेरी सूखी शाखाओं को छू गए हैं।  1 मुर्गे ने कहा, "मैंने तुम्हें पहले कभी बिना अक्षर के देखा है, लेकिन अब मैं तुम्हारे दर्द को नहीं पहचानता था। लेकिन जैसे ही मैं घायल होने के बाद लकड़ी के भीतर अपने आप में लेटा हुआ था, मैंने रास्ता देखा  तुम अकेलेपन का दर्द सहते हो! उस समय मैंने ठान लिया था कि ठीक होते ही तुम्हारे पास आऊंगा। 


  उस रात सूखे पेड़ और मुर्गे बातें करते रहे। अगली सुबह मुर्गी अनाज की तलाश में निकली।  पेड़ दिन के किसी बिंदु पर तनाव में रहता है कि वह पीठ के निचले हिस्से में आए या अब नहीं। लेकिन दिन की छुट्टी पर चिकन उसके पास वापस आ गया। अब यह दिन के क्रम के रूप में उभरा है। अकेलापन  पेड़ गायब हो गया। लेकिन किसी दिन यह क्रम टूट गया। एक सुबह मुर्गी चली गई और अब वापस नहीं आई। अकेलापन फिर से पेड़ को डराने लगा। 


  दिन बीत गए। एक सुबह जंगली क्षेत्र पक्षियों के चहकने से गूंज उठा। उनका  झुंड थ्री से आगे निकल गए  एक ही समय में ट्वीट के रूप में ऊफ पेड़।  उसने उदास होकर पक्षियों की जाँच की।  अचानक एक प्यारी सी तितली उड़ती हुई आई और उसके नग्न भाग पर बैठ गई।  वृक्ष के दुःख की लहरों ने तितली को छुआ।  उसने अपने पंख फड़फड़ाए और कहा, "दादा, आप इतने दुखी क्यों हैं? 


  पेड़ ने कहा, "प्रिय तितली!  बिल्कुल तुम्हारी तरह मेरे पास एक मुर्गी आई।  उन्होंने बहुत दिनों तक मेरा साथ दिया।  मैं बहुत खुश हुआ लेकिन किसी दिन वह चली गई और अब वापस नहीं आई।  तितली ने सूखे पेड़ पर भरोसा किया।  उसने कहा, "मैं अपने दोस्तों के बगल में आपके दोस्त को चिकन खोजने की कोशिश करूंगी। उसने निराशा में सुना। तितलियों का झुंड दिन के किसी बिंदु पर चिकन को खोजने का प्रयास करता रहा, लेकिन यह नहीं मिला। 


   जब वह रात के भीतर वापस नीचे हुई तो वह चुप हो गई। आखिर आप क्या कह रहे हैं? पेड़ ने बिना बोले ही सब कुछ समझ लिया। तितलियों को भी पता चल गया है कि उसका दुख कैसा है। जब दिन आया, ए  साधारण नज़ारा दिखाई दिया। इंद्रधनुष की तितलियाँ उस पेड़ की शाखाओं पर रंगीन पौधों की तरह प्रदर्शन कर रही थीं। यह पहली दर के दृश्य में बदल गया! इस प्रकार के पहलू को कभी किसी ने नहीं देखा था। तब से तितलियों ने निर्धारित किया कि वे अब और नहीं रह सकती हैं  सूखे पेड़ को अकेले छोड़कर हर जगह घूमो। 


  अब वह सूखे तितलियों से भरा पेड़ 'बटरफ्लाई ट्री' के नाम से प्रसिद्ध हो गया है। यह पहलू सभी तितलियों में बदल गया। सभी ने अलग-अलग वादा किया कि वे अब नहीं कर सकते  अपने आप पेड़ से विदा हो जाना।  तितलियों का एक संगठन उड़ सकता था और कोई दूसरा आ सकता था।  


  तितलियों से भरे उस पेड़ को देखने के लिए लोग आने लगे।  अचानक पेड़ के आधार के पास एक बेल उग आई।  धीरे-धीरे घंटी ने पहाड़ पर चढ़ते-चढ़ते अपने ऊपर जमा लिया।  यह अनुभवहीन लग रहा था।  चिड़ियाँ वहाँ घोंसला बनाने लगीं।  उनके ट्विटर से पूरा जंगल क्षेत्र गूंजने लगा।  चारों ओर आनंद और उल्लास की लहर में बदल गया क्योंकि सूखा पेड़ अनुभवहीन लग रहा था।  रंगीन तितलियों के झुंड फिर भी दिन भर उस पर मंडराते रहे। 



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